प्राचीन भारत में राज्य की अवधारणा
Abstract
प्राचीन भारत में राज्य की अवधारणा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और जटिल विषय है, जो न केवल राजनीतिक व्यवस्था, बल्कि समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था से भी गहरा जुड़ा हुआ था। भारतीय इतिहास के विभिन्न कालखण्डों में राज्य गठन और उसके विकास ने समाज की संरचना और जीवन के अनेक पहलुओं को प्रभावित किया। वेद और उपनिषदों में राज्य की अवधारणा का उल्लेख मिलता है, जहाँ ऐसा माना जाता था कि एक उचित शासक, जिसे 'राजा' कहा जाता था, को अपने प्रजा के कल्याण का ध्यान रखना चाहिए। प्राचीन भारतीय शासकों को 'धर्मराजा' के रूप में जाना जाता था, जिन्हें नीति, न्याय और धर्म का पालन करने का दायित्व उठाना होता था।









