अज्ञेय कृत ‘असाध्य वीणा’ का पुनर्पाठ
Abstract
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”हिंदी साहित्य के युगप्रवर्तक साहित्यकारों में मान्य हैं।उन्होंने जो भी रचना की उसमें यह संकल्प निहित था कि रचना की परम्परा में कुछ अंशदान किया जाए ।आत्मदान ही उनका लक्ष्य रहा है ।“असाध्य वीणा” भी इसका साक्ष्य है ।यह कविता हिंदी काव्यधारा में ,हिंदी की महत्वपूर्ण लम्बी कविताओं में अनिवार्य रूप से उल्लेखनीय मानी जाती है ।इस कविता में अज्ञेय के कवि रूप की उत्कृष्ट झलक दिखती है