मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर संभाग के आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण पर स्वयं सहायता समूहों का प्रभाव
Abstract
महिलाओं को सशक्त बनाने का अर्थ है उन्हें जागरूक लोगों के रूप में बनानाए जो राजनीतिक रूप से गतिशीलए आर्थिक रूप से लाभकारी और स्वायत्त हैं। महिलाओं के लिए संयुक्त विकास कोष ;यूएनडीएफडब्ल्यूद्ध महिला सशक्तिकरण के अर्थ के लिए निम्नलिखित घटकों को बताया जा सकता हैरू जैसे यौन संबंधों की जानकारी और समझ हासिल करनाए आत्म.सम्मान की भावना विकसित करनाए वांछित परिवर्तनों को बाँधने की क्षमता में विश्वास और अपने जीवन को नियंत्रित करने का विशेषाधिकार पाना। इस अध्ययन में आदिवासी महिला सशक्तिकरण से सम्बंधित बिंदुओं जैसे महिला सशक्तिकरण के आयामए मानदंडए संकेतए घटकए सामाजिक.आर्थिक सशक्तिकरणए सशक्तिकरण पर स्वयं सहायता समूहों का प्रभाव आदि बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है। अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि महिला सशक्तिकरण एक सक्रियए बहुआयामी प्रक्रिया है जो महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी क्षमता और शक्तियों का एहसास कराने में सक्षम बनाती है। सशक्तिकरण आत्मज्ञान है और आत्मज्ञान के बिना कोई विकास नहीं हैय यह जीवन की गुणवत्ता को बढ़ती धन या आय संदर्भ में नहीं मापा जाता हैए बल्कि हर जगह महिलाओं द्वारा प्राप्त स्वायत्तता और सुरक्षा से मापा जाता है। सशक्तिकरण बहुआयामी है क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति की वित्तीय स्वतंत्रताए सामाजिक जागरूकता और राजनीतिक चेतना शामिल है।