नाथ पंथ: उद्भव एवं विकास, एक विवेचन

Authors

  • प्रकाश प्रियदर्शी

Abstract

निःसंदेह भारतीय संस्कृति में जीवन का मूल आधार धर्म है। धर्म शब्द दैनिक जीवन में कर्तव्य अभिप्रेरित है, वहीं दूसरी ओर इसकी सबसे बड़ी विशेषता विभिन्न सम्प्रदायों के व्यावहारिक जीवन से अन्योन्याश्रित सम्बन्ध की रही है। धर्म में जीवन के नैतिक मूल्यों पर विशेष बल प्रदान किया गया है। धर्म की अपनी विशिष्ट अवधारणा के विकास के साथ-साथ भारत-भूमि अपनी सभ्यता के उषाकाल से ही, विभिन्न पंथों एवं अनेक सम्प्रदायों की उद्गम स्थली रही है। हिन्दू धर्म के अन्तर्गत अनेकों मत एवं सम्प्रदाययजैसे-वैदिक,

Published

2007-2025

How to Cite

प्रकाश प्रियदर्शी. (2023). नाथ पंथ: उद्भव एवं विकास, एक विवेचन. International Journal of Economic Perspectives, 17(6), 251–256. Retrieved from https://ijeponline.com/index.php/journal/article/view/612

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