राजस्थान बनाम भारत संघ 1977 : संविधान बनाम राजनीति
Abstract
भारतीय संविधान में संघात्मक शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है, जिसमें संघ को राज्यों की अपेक्षा अधिक शक्तियाँ दी गई हैं । संविधान निर्माताओं का अटल विश्वास था कि सशक्त केन्द्रीकृत व्यवस्था ही देश की जटिल समस्याओं के समाधान में सक्षम हो सकती है । भारतीय संघात्मक व्यवस्था पर राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों ने सर्वाधिक घातक प्रहार किया है । संघीय सरकार को यह विवादास्पद शक्ति अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत संविधान के माध्यम से प्राप्त हुई है । संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में अनुच्छेद 356 का प्रावधान इसलिए किया गया था ताकि विघटनकारी शक्तियों द्वारा उत्पन्न की गई आपातकालीन स्थितियों का सामना किया जा सके । संविधान के अनुच्छेद 356 के क्रियान्वयन ने संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता एवं आशंकाओं दोनों को ही सही प्रमाणित किया हैं । केन्द्रीय सरकार द्वारा, कई बार, राज्यों की जन-निर्वाचित सरकारों को अपदस्थ करने के लिए अनुच्छेद 356 का प्रयोग राजनैतिक vL= के रूप में किया गया । परिणामस्वरूप समय-समय पर राज्य सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के तथाकथित उपयोग के विरुद्ध न्यायालय की शरण ली गई । प्रस्तुत शोधपत्र में अप्रैल 1977 में 6 राज्यों — राजस्थान, पंजाब, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश द्वारा केन्द्र सरकार द्वारा जन-निर्वाचित राज्य सरकारों को अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत अपदस्थ करने के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में मुकद्दमा दायर करने पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर प्रकाश डाला गया है ।