स्त्री शिक्षा के प्रति बदलता दृष्टिकोण - समकालीन लेखिकाओं के संदर्भ में
Abstract
शिक्षा का किसी भी समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। नवजागरण काल में समाज सुधारकों ने नारी शिक्षा पर बल दिया । राजा राममोहन राय, केशव चंद्र सेन, दयानंद सरस्वती, पंडिता रमाबाई, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, महर्षी कर्वे आदि ने स्त्री को न केवल शिक्षित किया बल्कि आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बनाया ।अनाथ, परित्यक्ता, विधवा आदि उपेक्षिताओं के प्रति इन्होंने अधिक ध्यान दिया। परिणामत: वर्तमान युग में स्त्री का आत्मबोधन बढ़ा। उसे अपने अस्तित्व का भान हुआ उसने न केवल अपनी क्षमताओं को पहचाना, बल्कि सामाजिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों को दूर करने का प्रयास किया ।शिक्षा के प्रसार के कारण नारी जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। स्त्री की दृष्टि सामाजिक विषमताओं की ओर जाने लगी। उसने महसूस किया कि जब तक वह अशिक्षित, आर्थिक दृष्टि से पराधीन रहेगी, तब तक उसे नरकीय जीवन बिताना पड़ेगा। वह अनुभव करने लगी की आर्थिक सत्ता के आधार पर पुरुषों ने उसे गुलाम बनाया है।इसीलिए आधुनिक नारी अर्जित शिक्षा और स्वतंत्रता के बल पर आर्थिक दृष्टि